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Pramod Ranjan
Assistant Professor (Social change; Indian literature; Indian languages; Creative arts and writing; Education; History, heritage and archaeology; Human society; Indigenous studies; Language, communication and culture; Law and legal studies; Philosophy and religious studies; Economics; Sociology and social studies of science and technology)
India
Publications
- Implications of the arrest of Indian environment activist
- The Battle for Cultural Space
- Covid: Glimpses of Indian political scene amid mayhem
- सोशल मीडया कंपनियों पर नहीं, जनता की जुबान पर ताला
- Covid: Glimpses of Indian political scene amid mayhem ...
- A chat with Gail Omvedt
- Footsteps of post-humanism
- 'दोआबा’ का अहिल्या आख्यान और साहित्य की कसौटी
- Covid: Glimpses of Indian political scene amid mayhem
- बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय
- कोविड पश्चात् दुनिया और बहुजन कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी
- बहुजन आंदोलन के लिए जरूरी किताब
- कोरोना के बहाने दुनिया की तीन बड़ी कंपनियां दुनिया में एकाधिकार करना चाहती हैं
- उपेंद्र कश्यप की पुस्तक "आंचलिक पत्रकारिता के तीन दशक" की प्रस्तावना
- सच्ची रामायण : ईवी रामासामी पेरियार (मराठी अनुवाद)
- शिमला डायरी
- हर राजनीतिक दल आज जय भीम का नारा क्यों लगा रहा है?
- महामारी और भय
- भाषायी वर्चस्व की राजनीति
- बहुजन साहित्य की प्रस्तावना
- स्वर कोकिला लता मंगेशकर के सामाजिक सरोकार
- साहित्य का नया रास्ता
- Covid-19: Statistics, Science and Scientific Temper
- उत्तर-मानववाद की आहट
- Post COVID World and Bahujan
- The Case of Bahujan Literature
- महिषासुर : एक जननायक
- Mahishasur: A People's Hero
- हिंदी साहित्येतिहास का बहुजन पक्ष
- जाति व्यवस्था और पितृ सत्ता (Jati Vyavstha Aur Pitri Satta)
- महिषासुर : मिथक व परंपराएं
- Bahujan discourse puts JNU in the crosshairs
- 'दोआबा’ का अहिल्या आख्यान और साहित्य की कसौटी
- Triveni Sangh in literature and the literature of Triveni Sangh
- महामारी के दौर में डॉक्टरों की भूमिका, सीमाएं और प्रोटोकॉल के कुछ सवाल
- Covid-19: Role and limitations of doctors and treatment protocols
- भय की महामारी
- उत्तर मानववाद की आहट
- रणवीर सेना और बिहार के अखबार
- मीडिया में दलित, पिछड़े और स्त्री की हिस्सेदारी का सवाल
- Share on Back Benches: Caste Composition of Bihar's Media
- Replication Data for: Post-Covid world and responsibility of Bahujan
- AMBEDKAR AND AMBEDKARISM: Foundation, Building Blocks and Relevance
- Professor, do you know why Nalanda kept smouldering? ...
- Ambedkar & Ambedkarism: Foundation, Building Blocks and Relevance
- दिल्ली बलात्कार कांड और भारत का शहरी मध्यवर्ग
- Aam Admi party: Partner, what is your politics?
- Share on Back Benches: Caste Composition of Bihar’s Media
- Bahujan version of Hindi literary history
- Ranvir Sena and Bihar’s newspapers
- बहुजन आंदोलन के लिए जरूरी किताब है 'जाति का विनाश' : प्रमोद रंजन से बातचीत
- बहुजन साहित्य : वर्तमान और भविष्य
- विद्यार्थियों के लिए एक शोकगीत - Junputh.pdf
- मगध : अंक 2 (Magadh : Hindi literary magazine)
- मगध : अंक 2 (Magadh : Hindi literary magazine)
- Ambedkar & Ambedkarism: Foundation, Building Blocks and Relevance ...
- Professor, do you know why Nalanda continued to smoulder?
- स्वर कोकिला लता मंगेशकर के सामाजिक और राजनैतिक सरोकार
- प्रोफेसर, क्या आप जानते हो कि नालंदा क्यों जलता रहा?
- डॉग फाइटिंग : उन बच्चों की लाशों पर किन नवधनाढ्यों के दांतों के निशान थे?
- वैज्ञानिक सोच को झटका किया जाना चाहिए या हलाल?
- Post-Covid world and responsibility of Bahujan
- The Delhi Rape Case and India’s Urban Middle Class
- दोआबा का अहिल्या आख्यान और साहित्य की कसौटी ...
- Savarna reservation, Modi and a dampener for Ram Temple issue
- कोविड का हमाम और भारतीय राजनीति
- आजादी का अमृत महोत्सव और वंचित तबकों की जीवन-प्रत्याशा
- Moral degradation of journalism and a publication: A letter
- किस पार्टी का सियासी गणित बिगाड़ेंगे चंद्रशेखर आज़ाद?
- उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 में दलित वोट किस पार्टी के साथ?
- How an American college refused to be cowed down
- Bahujan Literature: Conception of a concept
- A poet of knotty questions and tender emotions
- Aam Aadmi Party: Partner, what is your politics?
- Curbs on social media are meant to gag the people
- Forward Press and intellectual democracy
- Laloo Prasad Conviction: Fodder for Thought
- Mahishasur in Mahoba-1
- ‘जाति जरूरी है’ से लेकर ‘सत्य सर्वजातीय है’ तक का सफर
- कोविड पश्चात दुनिया और बहुजन कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी
- एक सज़ायाफ्ता बौद्धिक के हक़ में एक अमेरिकी कॉलेज का प्रतिरोध
- फारवर्ड प्रेस और बौद्धिक लोकतंत्र
- कोविड-19: सांख्यिकी, विज्ञान और वैज्ञानिक चेतना
- सवर्ण आरक्षण, मोदी और मंदिर के मुद्दे को पलीता
- मीडिया में हिस्सेदारी
- लालू प्रसाद यादव को सजा : वैचारिक जुगाली के लिए चारा
- Die Welt nach Covid-19
- पत्रकारिता और पुस्तक प्रकाशन में नैतिकता का सवाल एक पत्र
- Die Macht des Wissens
- Four years of a cultural movement
- बहुजन साहित्य की अवधारणा का निर्माण काल
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन का मसौदा और सत्ता के निहितार्थ
- एक सांस्कृतिक आंदोलन के चार साल
- Jan Vikalp: The Ideology of Social Consciousness, May 2007
- Jan Vikalp: The Ideology of Social Consciousness, May 2007
- विद्यार्थियों के लिए एक शोकगीत
- Providing a voice to the dispossessed majority - Interview with Pramod Ranjan
- Threats to the concept of social justice
- किन्नरों की अस्मिमा : पार्टनर आपकी पक्षधरता क्या है?
- Periyar Ke Pratinidhi Vichar [Representative thoughts of Periyar]
- The Case For Bahujan Literature
- Travelogue: Mahishasur in Mahoba
- यात्रा वृतांत: महोबा में महिषासुर
- बहुजन साहित्य: वर्तमान और भविष्य [Bahujan Literature: Present and Future]
- उपभोक्तावाद और परिवार
- दोआबा : जारी है बहस
- महिषासुर: एक जननायक
- सच्ची रामायण और हिंदी का कुनबावाद
- पेरियार: बदलाव का चिंतन (पटना किताब उत्सव में प्रमोद रंजन से अशोक कुमार की बातचीत)
- पेरियार: बदलाव का चिंतन (पटना किताब उत्सव में प्रमोद रंजन से अशोक कुमार की बातचीत)
- Social and Political Concerns of Lata Mangeshkar: An Ambedkarite Perspective
- COVID-19, science and responsibility of the intellectuals
- Facing Demons: The reclamation of Mahishasur as a heroic figure
- Forward Press: Let’s embark on a new journey
- भारतीय मीडिया में आधुनिकता और सामाजिक हिस्सेदारी के सवाल
- विपाशा के कविता विशेषांक से गुजरते हुए
- विज्ञान और तकनीक की ओर था पेरियार का झुकाव
- फारवर्ड प्रेस: आइए चलें नई यात्रा की ओर
- Turning a deaf ear to the footsteps of death, famine and economic disparity (A comment on India’s Budget 2021)
- बहुजन विमर्श के कारण निशाने पर जेएनयू
- महज एक बच्चे की ताली पर (प्रभाष जोशी के लेख पर प्रतिक्रिया)
- बहुजन साहित्य प्रगतिशील और दलित साहित्य का विस्तार है: प्रमोद रंजन
- Das große Sterben
- किसकी पूजा कर रहे हैं बहुजन (महिषासुर: एक पुर्नपाठ)
- विज्ञार और तकनीक ओर था पेरियार का झुकाव
- हिंदी की साहित्यिक-वैचारिक पत्रिकाएं: आंधी-तूफान में बजती डुगडुगी
- ‘कला और साहित्य के केंद्र में जीवन होना चाहिए’ (प्रेमकुमार मणि से प्रमेाद रंजन की बातचीत)
- Mahishasur: A People’s Hero
- ओबीसी साहित्य पर राजेंद्र प्रसाद सिंह, प्रमोद रंजन, अनीता भारती और संजीव चंदन की बातचीत
- ओबीसी साहित्य पर राजेंद्र प्रसाद सिंह, प्रमोद रंजन, अनीता भारती और संजीव चंदन की बातचीत
- नई तकनीक और बदलती दुनिया
- नई तकनीक और बदलती दुनिया
- हिंदी कविता में संताल परगना का चेहरा
- "साहित्य प्राय: उनका पक्ष लेता है जो हारे हुए हैं" : कवि अरुण कमल से प्रमोद रंजन की बातचीत
- "साहित्य प्राय: उनका पक्ष लेता है जो हारे हुए हैं" : कवि अरुण कमल से प्रमोद रंजन की बातचीत
- Der Offenbarungseid
- पार्टनर, तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?
- बजट 2021: मौत, अकाल की आहट और आर्थिक असमानता पर चुप्पी क्यों?
- BJP budget and Bahujan businesses
- COVID 19 & IT giants: The Invisible monsters
- कोरोना के संक्रामक आतंक को जरा ‘जूम’ करके देखें
- कोविड 19: पत्रकारिता से क्यों गायब हैं सवाल
- व्हाट्सएप विवाद: सूचना तकनीक और सूचना की पड़ताल
- पिछली सीटों पर हिस्सेदारी : बिहार के मीडिया की जातीय संरचना
- कोरोना काल में अभिव्यक्ति पर प्रौद्योगिकी का शिकंजा
- मीडिया: भाषा का सवाल (ग्राम परिवेश का पत्रकारिता विशेषांक-3)
- महिषासुर एक जननायक
- जन विकल्प का प्रकाशन: वह दुनिया और आज का दौर [Publication of Jan Vikalp: That world and today's era]
- 'Life should be at the center of art and literature' (Pramed Ranjan's conversation with Hindi litterateur and thinker Premkumar Mani)
- Webinar recording: Peer Review in Hindi: Needs, Doubts and Solutions [हिंदी में सहकर्मी समीक्षा : आवश्यकता, शंकाएं और समाधान]
- "साहित्य प्राय: उनका पक्ष लेता है जो हारे हुए हैं" : कवि अरुण कमल से प्रमोद रंजन की बातचीत
- समय से संवाद: जन विकल्प संचयिता
- भाजपा का बजट और बहुजन व्यवसाय
- पत्रकार नवल किशोर को मिली धमकियों से संबंधित तथ्य
- जीतनराम मांझी: बहुजन राजनीति की नई उम्मीद
- हिंदी पट्टी में पेरियार
- उपेंद्र कश्यप की पुस्तक 'आंचलिक पत्रकारिता के तीन दशक' की प्रस्तावना
- Mahishasur A people's hero
- धर्म और विश्वदृष्टि- पेरियार ई. वी. रामासामी
- Threats issued to Naval Kishore Kumar: Setting the record straight
- पेरियार के प्रतिनिधि विचार
- मीडिया: विश्ववास का धंधा
- सच्ची रामायण: पेरियार ई. वी. रामासामी
- हिमाचल का साहित्यिक परिदृश्य: शिमला डायरी
- तकनीकी बर्बरता के नए युग की शुरुआत है ऑनलाइन शिक्षा
- Literary landscape of Himachal: Shimla Diary
- भारत के राजनेता: अली अनवर
- Mahishasur: Ek Jannayak
- ओबीसी आरक्षण: क्या कांग्रेस पिछड़ों से छलावा कर रही है?
- Afraid of Haryana’s Jat politics
- Bahujan Criticism: From a Distinct Angle
- Kosi floods 2008: The untold story
- हरियाणा की जाट राजनीति का डर
- OBC Reservation: Is Congress Conning OBCs
- हिंदुत्व का नया अवतार: गए राम, आए कृष्ण
- हरियाणा का दलित आंदोलन और वेदपाल तंवर
- बिहार की पत्रकारिता में जाति की सडांध पर सर्वे
- Gita: Indian Philosophy, Not a Hindu Scripture!
- महिषासुर मिथक व परंपराएं
- राणा बैनर्जी: नया नहीं इस जीवन में मरना
- गीता हिंदू धर्मग्रंथ नहीं, भारतीय दर्शन है!
- हिंदी के बौद्धिकों की संकीर्णता ने उत्तर भारत में पेरियार के विचारों की पहुंच को कठिन बनाया
- किन्नौर में बौद्ध धर्म, जाति प्रथा और राजनीति
- Hindutva’s Latest Avatar Exit Ram, Enter Krishna
- Bahujan Literature and Criticism
- जन विकल्प का प्रकाशन: वह दुनिया और आज का दौर [Publication of Jan Vikalp: That world and today's era]
- सच कहने का समय: सेना के भीतर युद्ध (भारतीय सेना में जातिवाद)
- प्रभाष जोशी को याद करते हुए
- साहित्य प्राय: उनका पक्ष लेता है जो हारे हुए हैं
- उत्तर मानवतावाद की आहट
- गोगा जी की मेड़ी और नाथपंथी आंबेडकरवादी साधु
- Afraid of Haryana’s Jat politics?
- COVID 19 & IT giants: The Invisible monsters
- Conception of a concept
- सामाजिक न्याय की अवधारणा पर खतरे
- FORWARD Press and intellectual democracy
- Footsteps of Post-Humanism
- "बचपन की वे छवियां मुझे जीवन के जादू की ओर खींचती हैं"
- Bihar's Most Backward castes in the line of fireBihar's Most Backward castes in the line of fire
- Goga ki Medi and a Nathpanthi Ambedkarite sadhu
- Haryana's Dalit Movement and Vedpal Tanwar
- Time for truth: War within the army (Casteism in Indian army)
- Samay Se Samvad: Janvikalp Sanchayita [Conversing with time: Compendium of Janvikalp]
- सियासत और साहित्य का दोआबा
- मीडिया और अन्ना का आंदोलन
- बहुजन आलोचना: हिंदी समाज का साहित्य इस कोण से
- महिषासुर से संबंधित परंपराओं और आंदोलन के निहितार्थ
- वंचितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले हैनी बाबू की गिरफ्तारी के मायने
- बहुजन साहित्य और आलोचना
- जन विकल्प में प्रकाशित सामग्री की सूची [List of Contents Published in Jan Vikalp]
- किन्नौर में बहु-पति प्रथा : ‘मैं अपने दोनों बेटों को कहता हूं कि वे एक ही लड़की से विवाह करें’
- मौत, अकाल की आहट और आर्थिक असमानता पर चुप्पी क्यों?
- जाति व्यवस्था और पितृसत्ता: पेरियार ई. वी. रामासामी
- भारत के राजनेता: रामदास आठवले
- भगाणा की निर्भयाएं: दलित उत्पीड़न के अनवरत सिलसिले का दृष्टांत
- बहुजन राजनीति की नई उम्मीद जीतन राम मांझी [Jitan Ram Manjhi is the new hope of Bahujan politics]
- The Case of Bahujan Literature
- भगाणा की निर्भयाएं
- Not a riot, Repression
- Silence after thunderbolt on Bihar's Backward Muslims
- नया ज्ञानोदय: ताअजीम के मेआंर परखने होंगे
- 'हिंदी साहित्य पर पश्चिमी प्रभाव और दलित-बहुजन विमर्श' विषय पर प्रमोद रंजन का वक्तव्य
- बिहारी अस्मिता: शहीद बनाने का खेल
- सोशल मीडिया, बिहार की सत्ता और निलंबन
- परिवारवाद की राजनीतिक माया
- बिहार की अति पिछड़ी जातियां निशाने पर
- हिस्सेदारी और विश्वसनीयता का समाजशास्त्र
- भला क्यों बची रहनी चाहिए किताबें?
- दंगा नहीं, दमन
- बिहार के ओबीसी मुसलमानों पर गाज पर चुप्पी
- जन विकल्प [Jan Vikalp, January 2007]
- यवन की परी (जन विकल्प कविता पुस्तिका)
- यह भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद क्या बला है?
- समाचार के लिए भुगतान: मेटा, कानून और स्वतंत्र पत्रकारिता में रस्साकशी
- मणिपुर हिंसा 2023: हेड हंटर की वापसी और पूर्वोत्तर में औरतों की आजादी का मिथ
- टिप्पणियों के खिलाफ एक लंबी टिप्पणी
- 1990 के बाद का हिंदी समाज और अद्विज हिंदी लेखन
- उत्तर भारतीय पत्रकारिता व साहित्य की दुनिया तथा पेरियार
- ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया: विश्वविद्यालय बनाम पिछड़े क्षेत्र और समुदाय
- Manipur Violence: Implications of internet ban
- Nai Taknik and pichadti hui bhasha
- Manipur Violence: How Many Layers Within Layers?
- अरविंद पासवान की कविताएं: विचार और संवेदना का अनूठा मिलन
- Hindi Chritichism Ps Hindi Ideology
- Akath Kahani: An interesting document from the world of literature and politics
- 'हलंत' और समकालीन कविता का बौद्धिक दायरा
- Rajkamal Prakashan Group's Top Seller List and Bahujan Literature in Hindi
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता: हिंदी भाषा मॉडलों का भविष्य [Artificial Intelligence: The Future of Hindi Language Models]
- वैश्विक रैंकिंग, अकादमिक स्वतंत्रता और भारतीय विश्वविद्यालय [Global rankings, academic freedom and Indian universities]
- अभिजात काव्य मानचित्र पर संथाल परगना का खांटी चेहरा
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